WOH SHAKHSHA
लौट के ना आने वाले की,
राह तकना बेकार ही है,
मौका जो हाथ से छूट गया,
तो हाथ मलना बेकार ही है.
दिल के एक कोने में कोई,
तस्वीर को मेरी गढ़ जो सके,
ऐसा भी कोई शख्स तो होगा,
आँखों को मेरी पढ़ जो सके,
जो पढ़ ना सके इन आँखों को,
उसे लिखना भी बेकार ही है,
मौका जो हाथ से छूट गया,
तो हाथ मलना बेकार ही है.
दिल की ख्वाहिश पाने को,
मन की शमा जलती ही रही,
एक दिन मंजिल मिल जायेगी,
सोच के साँसे चलती ही रही.
नामालूम मंजिले हों तो,
राह चलना बेकार ही है,
मौका जो हाथ से छूट गया,
तो हाथ मलना बेकार ही है.
एक-एक बूँद के लिए पपीहा,
जीता है दम को तोड़-तोड़,
उड़ता चंदा के लिए चकोर,
अपनी हिम्मत को जोड़-जोड़.
परवाने का ग़र दर्श न हो,
तो शमा का जलना बेकार ही है,
मौका जो हाथ से छूट गया,
तो हाथ मलना बेकार ही है.
चाहत मेरी संग उसके यूं,
तडपे जैसे जल बिन मीन,
उसके साथ मै सर्वश्रेष्ठ और,
सच मानो बिन उसके हीन.
छलता है ग़र मुझको वो,
तो छलना ये बेकार ही है,
मौका जो हाथ से छूट गया,
तो हाथ मलना बेकार ही है.
जिस शख्स के गुलशन में मेरे,
अरमानों का सावन बरसे,
सोलह आने सच ये भी है,
मिलने को मुझसे वो भी तरसे.
"KYONKIRAHUL" निंद्रा टूटी,
तो ऊंघना फिर बेकार ही है,
मौका जो हाथ से छूट गया,
तो हाथ मलना बेकार ही है.
very good Rahul gggggggggg
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